अगर आप अपने घर के बगीचे में कुछ ऐसा उगाना चाहते हैं जो स्वादिष्ट, पौष्टिक और आसानी से उग सके — तो शकरकंद (Sweet Potato) एक बेहतरीन विकल्प है। यह न केवल खाने में मीठा और ऊर्जा से भरपूर होता है, बल्कि इसकी खेती करना भी बेहद आसान है।
आज हम आपको एक नई और अनोखी तकनीक बताएंगे — जिसमें आप प्लास्टिक की टोकरी (Plastic Basket) में शकरकंद उगा सकते हैं, और परिणामस्वरूप पाएंगे बड़े, स्वस्थ और भरपूर कंद।
यह विधि हर मौसम में काम करती है, और इसमें बहुत कम जगह, मिट्टी और मेहनत की जरूरत होती है।
चरण 1: सही टोकरी का चुनाव करें

सबसे पहले आपको एक प्लास्टिक की टोकरी या क्रेट चाहिए, जिसमें पर्याप्त हवा आने-जाने के लिए छेद हों।
टोकरी का आकार आपकी जगह के अनुसार चुनें — लेकिन कोशिश करें कि यह कम से कम 18-20 इंच गहरी हो।
जितनी गहराई अधिक होगी, उतने ही बड़े शकरकंद के कंद विकसित होंगे।
ध्यान रखें: टोकरी के नीचे अतिरिक्त छेद होना जरूरी है ताकि पानी जमा न हो और जड़ें सड़ें नहीं।
चरण 2: सही माध्यम (Growing Medium) तैयार करें

शकरकंद की खेती के लिए मिट्टी हल्की, हवादार और जैविक पोषक तत्वों से भरपूर होनी चाहिए।
आप नीचे दिए गए मिश्रण का उपयोग कर सकते हैं:
- 40% बगीचे की मिट्टी
- 30% पुरानी गोबर की खाद या कम्पोस्ट
- 20% रेत या नारियल की भूसी (Cocopeat)
- 10% वर्मी-कम्पोस्ट
सभी सामग्रियों को अच्छी तरह मिलाएँ ताकि मिश्रण नमीदार लेकिन पानी निकासी वाला (well-drained) हो।
यह माध्यम शकरकंद की जड़ों को आसानी से बढ़ने में मदद करता है और कंदों का आकार बड़ा बनाता है।
चरण 3: कटिंग या बेल से रोपण करें

शकरकंद बीज से नहीं, बल्कि उसकी कटिंग या बेल (Slips) से उगाया जाता है।
- एक स्वस्थ शकरकंद लें और उसे कुछ दिनों के लिए पानी में रखें।
- कुछ ही दिनों में उसमें हरी बेलें (slips) निकल आएँगी।
- जब ये बेलें 6-8 इंच लंबी हो जाएँ, तो इन्हें सावधानी से निकाल लें।
- हर बेल को टोकरी में बने माध्यम में 2-3 इंच गहराई तक लगाएँ।
सुझाव: हर टोकरी में 4-5 बेलें लगाना पर्याप्त रहेगा, ताकि उन्हें बढ़ने की जगह मिल सके।
चरण 4: पानी देना और देखभाल

शकरकंद को नियमित रूप से पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन अधिक पानी से बचें।
टोकरी में छेद होने के कारण अतिरिक्त पानी निकल जाएगा, जो बहुत फायदेमंद है।
- गर्मियों में रोज़ हल्का पानी दें।
- सर्दियों में सप्ताह में 2-3 बार पर्याप्त रहेगा।
- मिट्टी को हमेशा थोड़ी नम रखें, लेकिन गीली नहीं।
हर 15 दिन में एक बार आप जैविक तरल खाद जैसे गोमूत्र घोल या वर्मी वॉश दे सकते हैं — इससे पौधे तेजी से बढ़ते हैं।
चरण 5: पर्याप्त धूप और सही स्थान

शकरकंद को धूप बहुत पसंद है।
इसे ऐसी जगह रखें जहाँ रोजाना कम से कम 6-8 घंटे सीधी धूप आती हो।
धूप की कमी होने पर बेलें तो बढ़ेंगी, लेकिन कंद छोटे और पतले रह जाएंगे।
ध्यान दें: यदि आप बालकनी या टैरेस गार्डन में इसे उगा रहे हैं, तो धूप की दिशा को ध्यान में रखें।
चरण 6: बेलों की छँटाई (Pruning)
जब बेलें बहुत लंबी हो जाएँ, तो उन्हें हल्का ट्रिम करें।
इससे पौधा अपनी ऊर्जा कंदों के विकास में लगाता है, और शकरकंद बड़े व भरपूर बनते हैं।
आप इन कटी हुई बेलों का उपयोग नई टोकरी में फिर से रोपण के लिए भी कर सकते हैं।
चरण 7: फसल की कटाई (Harvesting)
शकरकंद आमतौर पर 90 से 120 दिनों में तैयार हो जाता है।
संकेत जो बताते हैं कि फसल तैयार है:
- बेलें पीली पड़ने लगती हैं।
- मिट्टी के ऊपर कंदों का हल्का उभार दिखाई देने लगता है।
फसल निकालते समय बेलों को सावधानी से हटाएँ और टोकरी को उल्टा करें।
आप देखेंगे कि नीचे बड़े-बड़े, ताजे और स्वस्थ शकरकंद भरे हुए हैं।
टिप: कटाई के बाद शकरकंदों को 5-7 दिन तक सूखी, छायादार जगह पर रखें ताकि उनका स्वाद और मिठास बढ़ जाए।
अतिरिक्त टिप्स बेहतर उपज के लिए
- मौसम का ध्यान रखें:
शकरकंद गर्म मौसम का पौधा है, लेकिन यह हर मौसम में उगाया जा सकता है — बस ठंडी हवा से बचाएँ। - जैविक खाद का प्रयोग करें:
रासायनिक खाद से बचें। गोबर की खाद, नीम खली और ह्यूमिक एसिड जैसे प्राकृतिक तत्व बहुत लाभकारी होते हैं। - कीट नियंत्रण:
नीम का तेल (Neem Oil Spray) हर 15 दिन में एक बार छिड़कें ताकि कीट न लगें। - दोबारा उपयोग:
एक बार टोकरी खाली करने के बाद मिट्टी को धूप में सुखाकर दोबारा उपयोग किया जा सकता है। - स्थान परिवर्तन:
हर बार नई फसल के लिए स्थान बदलें ताकि मिट्टी में पौष्टिक तत्व संतुलित रहें।
शकरकंद उगाने के फायदे
- कम जगह में ज्यादा उत्पादन: प्लास्टिक टोकरी बालकनी या छत पर भी रखी जा सकती है।
- स्वस्थ और ऑर्गेनिक फसल: कोई केमिकल नहीं, केवल जैविक खाद का उपयोग।
- मिट्टी की हवा और नमी बनी रहती है: जिससे जड़ें स्वस्थ रहती हैं।
- हर मौसम में संभव: गर्मी, बरसात या सर्दी — बस धूप की व्यवस्था होनी चाहिए।
- सौंदर्य और उत्पादकता दोनों: बेलें देखने में सुंदर लगती हैं और साथ ही पौष्टिक भोजन देती हैं।
निष्कर्ष
शकरकंद की खेती अब सिर्फ खेतों तक सीमित नहीं रही।
इस प्लास्टिक टोकरी तकनीक से आप घर की बालकनी, छत या आंगन में आसानी से बड़े और मीठे कंद उगा सकते हैं।
यह न केवल एक मज़ेदार गार्डनिंग अनुभव है बल्कि आपके परिवार के लिए स्वास्थ्यवर्धक भोजन का प्राकृतिक स्रोत भी है।
तो क्यों न आज ही एक टोकरी लें, मिट्टी तैयार करें और शकरकंद की बेलें लगाएँ?
कुछ ही महीनों में जब आप अपनी ही उगाई हुई फसल देखेंगे — तो गर्व और खुशी दोनों का स्वाद मिलेगा!